Mastram Ki Hindi Kahani : रात काफी गहरी हो चुकी थी जब मेरे ससुराल के बड़े बुजुर्ग विक्रम अंकल ने मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाया उन्होंने कहा अन मैं बाथरूम में फिसल गया हूं और मेरी पीठ में काफी दर्द हो रहा है अगर तुम थोड़ा मालिश कर देती तो शायद मुझे थोड़ा आराम मिल जाता मैंने उन्हें अपने बिस्तर पर लिटा दिया लेकिन उसके बाद जो हुआ उसकी कल्पना शायद आप नहीं कर सकते इस घटना के बाद मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई नमस्कार दोस्तों आज की इस अनोखी कहानी में आपका स्वागत है शादी के सिर्फ पांच महीने बाद ही मेरा पति संजय एक सड़क दुर्घटना में चल बसा मेरे पिताजी ने
बहुत मुश्किल से मेरी शादी की थी लेकिन कुछ ही महीनों में मैं फिर से अपने माइके के दरवाजे पर आ गई थी मेरे माइके में मेरी असली मां नहीं थी और इसलिए मुझे हमेशा डर लगता था कि अगर पिताजी कुछ कहेंगे तो मैं किसके पास जाकर अपनी तकलीफें साझा करूंगी मेरी सौतेली मां किरण भी थी और उनके कारण डर और भी बढ़ जाता था फिर एक दिन अचानक मेरे ससुराल से विक्रम अंकल हमारे घर आए उन्होंने मेरे पिताजी से कहा कि वे मुझे वापस अपने घर ले जाना चाहते हैं मेरी सौतेली मां ने तुरंत हां कर दी लेकिन पिताजी कुछ सोच में पड़ गए और बोले
पिताजी ने कुछ देर सोचने के बाद कहा देखो विक्रम जी अनु ने अभी-अभी एक बड़ा झटका झेला है वह मानसिक और शारीरिक तौर पर बहुत कमजोर हो चुकी है मुझे लगता है कि उसे अभी कुछ समय मायके में रहने दो ताकि वह इस सदमे से उभर सके विक्रम अंकल ने गंभीरता से पिताजी की बात सुनी और फिर बोले समीर जी मैं समझता हूं कि आपकी चिंता जायज है लेकिन अनू की देखभाल के लिए वहां हमारे पास भी अच्छे इंतजाम है और फिर वह हमारे परिवार की बहू है हमें भी उसकी फिक्र है मैं चाहता हूं कि वह वापस आए ताकि उसके ससुराल वाले उसका सहारा बन सके मेरी
सौतेली मां किरण ने तुरंत हामी भरते हुए कहा जी मैं भी यही सोचती हूं कि अनु को वापस जाना चाहिए आखिर ससुराल ही उसका असली घर है यहां रहकर वह और भी अकेलापन महसूस करेगी मैंने चुपचाप यह सब सुना मेरी आवाज जैसे गले में अटक गई थी मैं समझ नहीं पा रही थी कि मुझे क्या करना चाहिए पिताजी मेरी तरफ देखने लगे शायद वह मेरी राय जानना चाहते थे लेकिन मेरी निगाहे नीचे थी मैं कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थी कुछ पलों की चुप्पी के बाद पिताजी बोले अगर अनु को सही लगता है तो मैं उसे रोकूंगा नहीं लेकिन यह उसकी मर्जी पर निर्भर है सबकी नजरें मुझ पर टिक
गई दिल में त तूफान था लेकिन बाहर से मैं शांत दिखने की कोशिश कर रही थी आखिरकार मैंने धीरे से कहा मैं सोच कर बताऊंगी विक्रम अंकल ने सहमति में सिर हिलाया और कहा ठीक है अनु हम तुम्हारे फैसले का इंतजार करेंगे फिर वह मेरे पिताजी से कुछ देर बातें करने के बाद विदा हो गए उस रात मैं देर तक अपने कमरे में बैठी रही सोचती रही कि क्या सही है और क्या गलत एक तरफ ससुराल की जिम्मेदारियां थी और दूसरी तरफ अपने आप को संभालने की कोशिश मुझे नहीं पता था कि मेरे जीवन का अगला कदम क्या होगा लेकिन इतना जरूर जानती थी कि अब से मेरी जिंदगी पहले जैसी नहीं
रहने वाली थी अगले कुछ दिनों तक मैं लगातार उसी उधेड़ बुन में रही ससुराल जाने का विचार मुझे डराता था पर मायके में भी मैं खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही थी विक्रम अंकल के शब्द मेरे मन में बारबार गूंजते रहे ससुर ही तुम्हारा असली घर है लेकिन मेरे दिल में यह सवाल था क्या वह सच में मेरा घर था कुछ दिन बाद पिताजी ने एक शाम मेरे पास आकर कहा अनु मैंने तुम्हारी चिंता देखी है मुझे पता है कि तुम किस हालात से गुजर रही हो लेकिन तुम्हें अपनी जिंदगी का फैसला खुद लेना होगा हम तुम्हारे साथ हैं चाहे तुम जो भी तय करो
उनकी बातों ने मेरे मन में थोड़ी हिम्मत भरी मैंने तय किया कि मैं विक्रम अंकल से मिलूंगी और साफ-साफ बात करूंगी अगले दिन मैंने पिताजी से कहा कि मैं उनके साथ ससुराल जाने के बारे में बात करना चाहती हूं विक्रम अंकल फिर से हमारे घर आए इस बार मैंने खुद उनसे कहा विक्रम अंकल मैंने बहुत सोचा है मैं वापस ससुराल जाना चाहती हूं लेकिन एक शर्त पर मुझे वहां कोई दबाव या जिम्मेदारी महसूस नहीं होनी चाहिए मैं अभी इस दर्द से उ नहीं पाई हूं और मुझे थोड़ा वक्त चाहिए विक्रम अंकल ने गहरी सांस लेते हुए कहा अनु हमें तुमसे कोई
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उम्मीद या दबाव नहीं है तुम जब चाहो जैसे चाहो रह सकती हो हमें सिर्फ इतना चाहिए कि तुम ठीक हो जाओ तुम्हारे ससुराल वाले तुम्हारा सहारा बनना चाहते हैं ना कि तुम्हारे लिए बोझ उनकी बात सुनकर मुझे थोड़ा सुकून मिला मैंने फिर पिताजी की ओर देखा और उन्होंने मुझे आश्वासन भरी नजरों से देखा कुछ दिन बाद मैं अपने ससुराल वापस चली गई वहां पहुंचने पर माहौल पहले जैसा नहीं था लेकिन मैं धीरे-धीरे सबको समझने लगी विक्रम अंकल ने अपना वादा निभाया और मुझे कभी किसी काम के लिए मजबूर नहीं किया परंतु समय के साथ मैंने महसूस किया कि
मेरे जीवन की असली चुनौती केवल दुर्घटना और पति की मौत नहीं थी बल्कि खुद को फिर से खड़ा करने की थी मैंने धीरे-धीरे खुद को अपने आप को संभालना सिखाया और विक्रम अंकल के सहारे ने मेरी जिंदगी को फिर से एक दिशा दी समय बीता दर्द कम हुआ और मैं नई शुरुआत के लिए तैयार हो गई मैंने खुद को मजबूत पाया और जाना कि जो कुछ हुआ वह मेरी पहचान नहीं है बल्कि एक सबक था जिसने मुझे और भी सशक्त बना दिया ससुराल में वापस आने के बाद मेरे जीवन ने धीरे-धीरे एक नई दिशा लेना शुरू किया पहले कुछ हफ्तों में मैं ज्यादातर अपने आप में ही रहती थी लेकिन विक्रम अंकल और बाकी
परिवार के लोग मुझे समय और स्पेस देने के साथ-साथ मेरा हौसला भी बढ़ाते रहे एक दिन विक्रम अंकल मेरे पास आकर बोले अनु मुझे लगता है कि अब तुम्हें अपनी जिंदगी को एक नई शुरुआत देनी चाहिए तुम पढ़ी लिखी हो कुछ काम करना शुरू करो खुद को व्यस्त रखो इससे तुम्हारा मन भी लगा रहेगा और तुम अपनी पहचान फिर से ब सकोगी उनकी यह बात मेरे मन को छू गई मैंने सोचा कि यह सही समय है जब मैं कुछ नया करने की कोशिश करूं मैंने अपने शिक्षा का इस्तेमाल करने का फैसला किया और पास के एक स्कूल में शिक्षक की नौकरी के लिए आवेदन कर दिया
कुछ हफ्तों बाद मुझे वहां नौकरी मिल गई स्कूल में पढ़ाना मेरे लिए एक नया अनुभव था बच्चों के बीच रहकर मुझे एक नई ऊर्जा और ताजगी महसूस होती थी मैं धीरे-धीरे अपने दोहक और अतीत से बाहर आने लगी हर दिन मैं खुद को थोड़ा और मजबूत महसूस करती और मुझे एहसास हुआ कि मेरी जिंदगी फिर से पटरी पर आ रही है इसी दौरान विक्रम अंकल ने भी मेरा बहुत साथ दिया वह हमेशा मेरी हिम्मत बढ़ाते और कहते अनु तुमने जिस तरह से अपनी जिंदगी को फिर से खड़ा किया है उस पर हमें गर्व है संजय भी अगर होता तो वह भी तुम्हें देखकर बहुत खुश होता इन शब्दों
ने मेरे अंदर और भी हौसला भर दिया मैं जानती थी कि मैंने अपने अतीत को पीछे छोड़ने का सही रास्ता चुन लिया है मैंने खुद को यह सिखा लिया था कि जिंदगी में मुश्किलें तो आती हैं लेकिन हमें उनसे हार नहीं माननी चाहिए समय के साथ मैंने खुद को एक नए रूप में देखा एक मजबूत आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास महिला के रूप में मेरे अनुभव ने मुझे बदल दिया था और मैं अब पहले से कहीं ज्यादा तैयार थी अपने जीवन की हर चुनौती का सामना करने के लिए अब मेरे जीवन में अतीत के जख्म नहीं बल्कि नई उम्मीदें और सपने थे मैंने सीख लिया था कि जिंदगी
हर मोड़ पर हमें एक नया मौका देती है और हमें उस मौके को गले लगाने से डरना नहीं चाहिए जैसे जैसे समय बीता मेरी नई जिंदगी की राहें और भी स्पष्ट होने लगी स्कूल स्कूल में बच्चों को पढ़ाते पढ़ाते मुझे खुद में एक नई ऊर्जा महसूस होती थी उनके मासूम चेहरों और सवालों में मैंने अपने जीवन का एक नया उद्देश्य ढूंढ लिया था हर दिन स्कूल जाना मेरे लिए एक नई उम्मीद लेकर आता था और धीरे-धीरे मैं खुद को पूरी तरह से उस माहौल में ढालने लगी एक दिन स्कूल के प्रधानाचार्य मनीष सर ने मुझे बुलाया और कहा अनु तुम्हारा पढ़ाने का तरीका बच्चों पर गहरा प्रभाव डाल रहा
है तुमने जिस मेहनत और समर्पण के साथ यहां काम किया है हम सब तुम्हारे योगदान की सराहना करते हैं मैं तुम्हें अगले महीने से वरिष्ठ शिक्षक के पद पर नियुक्त करना चाहता हूं यह सुनकर मेरे मन में गर्व और आत्मविश्वास का भाव उमड़ पड़ा मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं इतनी जल्दी अपने काम में इस तरह से पहचान हासिल कर पाऊंगी यह मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि थी और इसका श्रेय सिर्फ मेरे संघर्षों को ही नहीं बल्कि उन सभी लोगों को जाता था जिन्होंने कठिन समय में मेरा साथ दिया खासकर विक्रम अंकल जब मैंने यह खुशखबरी विक्रम अंकल को बताई तो उनकी आंखों में
गर्व और खुशी झलक लगी वह बोले अनु तुमने साबित कर दिया कि जीवन की सबसे बड़ी ताकत हमारी आत्मनिर्भरता और जुझारू पन है तुमने अपने दर्द को ताकत में बदल दिया और यह कामयाबी उसी का परिणाम है उनकी बातों ने ने मुझे और भी प्रेरित किया मेरी जिंदगी में अब सिर्फ दुखों की छाया नहीं थी बल्कि नए अवसरों और उम्मीदों का उजाला भी था मैंने महसूस किया कि जिंदगी में जो कुछ भी होता है वह हमें एक नए रास्ते पर ले जाने के लिए होता है मैंने अपने अतीत के बोझ को छोड़कर अपने सपनों की तरफ कदम बढ़ाने शुरू कर दिए थे इसी दौरान स्कूल में एक नए
प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई बच्चों के लिए विशेष कक्षाएं जहां हम उन्हें जीवन के महत्त्वपूर्ण सबक सिखाते थे जैसे आत्मविश्वास धैर्य और कठिन परिस्थितियों से निपटना मैंने इस प्रोजेक्ट में सक्रिय रूप से भाग लिया और बच्चों को उनके जीवन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करना शुरू किया इन कक्षाओं के दौरान मैंने खुद को भी एक नई नजर से देखा बच्चों को जीवन के सबक सिखाते सिखाते मैंने अपने अनुभवों को फिर से जिया और समझा कि हर संघर्ष हमें कुछ सिखाने के लिए आता है मैंने उनसे कहा हार मत मानो जीवन तुम्हें
जितनी भी चुनौतियां दे उनसे लड़ो और उन्हें जीत में बदलो समय के साथ मैंने देखा कि बच्चों के साथ-साथ मैं भी अंदर से और मजबूत हो गई हूं मैंने अपने जीवन में जो कुछ खोया था उसे मैंने अपने सपनों और हौसले से भर दिया था अब मैं सिर्फ संजय की विधवा या किसी की बहू नहीं थी बल्कि एक स्वतंत्र और स महिला थी जो अपने भविष्य का निर्माण खुद कर रही थी मुझे अब यह यकीन हो चला था कि जिंदगी में हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत होता है मैंने अपने आप से वादा किया कि अब चाहे जो भी हो मैं हमेशा अपने सपनों के पीछे दौड़ती रहूंगी और कभी भी हार नहीं
मानूंगी जिंदगी ने एक बार फिर मुझे नए आयाम दिखाने शुरू कर दिए थे बच्चों के साथ मेरा जुड़ाव गहरा होता जा रहा था और स्कूल में मेरी पहचान अब सिर्फ एक शिक्षिका की नहीं थी बल्कि एक मार्गदर्शक की थी जो मुश्किलों के बीच से निकलकर अपने पैरों पर खड़ी हुई थी मैं अपने काम में व्यस्त थी लेकिन अंदर से अब मुझे सुकून मिलने लगा था एक दिन स्कूल में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था जहां विभिन्न स्कूलों से शिक्षक और बच्चे एकत्रित होने वाले थे यह कार्यक्रम शिक्षा के नए तरीकों और बच्चों के विकास से जुड़े विषयों पर आधारित था
प्रधानाचार्य मनीष सर ने मुझे उस कार्यक्रम का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी यह मेरे लिए एक बड़ा अवसर था और मैं उसे पूरी शिद्दत से निभाने के लिए तैयार थी कार्यक्रम का दिन आया स्कूल का बड़ा हॉल बच्चों शिक्षकों और अभिभावकों से भरा हुआ था मैंने मंच पर आकर जब पहली बार सबके सामने बोलना शुरू किया तो मेरे अंदर थोड़ी घबराहट थी लेकिन जैसे ही मैंने अपने अनुभवों और जीवन की सीखों को साझा किया मैंने देखा कि लोग ध्यान से सुन रहे थे मैंने बताया कि किस तरह मैंने कठिन समय को पीछे छोड़कर अपने लिए एक नया रास्ता चुना और कैसे
शिक्षा ने मुझे अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद की मेरे शब्दों ने ना सिर्फ बच्चों बल्कि वहां मौजूद बड़ों को भी प्रेरित किया कार्यक्रम के बाद कई शिक्षक और अभिभावक मुझसे मिलने आए और कहा अनु आपकी कहानी ने हमें हिम्मत दी है आप जैसी महिलाएं समाज के लिए एक प्रेरणा है इस तरह के शब्द सुनकर मुझे एहसास हुआ कि मेरी मेहनत सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि और भी लोगों को प्रभावित कर रही थी मैंने अपने जीवन के संघर्षों को अब एक मिशन बना लिया था दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनने और अपने सपनों को पाने के लिए प्रेरित करना इसी बीच विक्रम अंकल ने
मुझसे एक दिन कहा अनु तुमने खुद को जिस तरह से संवारा है मुझे गर्व है लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम अपनी जिंदगी में आगे भी बढ़ो तुम्हारे पास अब नई दिशा और समझ है अगर तुम्हें किसी दिन किसी का साथ चाहिए तो तुम्हें उसे अपनाने में हिचकिचाना नहीं चाहिए उनकी बात ने मुझे सोचने पर मजबूर किया मैंने अब तक खुद को काम और जिम्मेदारियों में ही व्यस्त रखा था लेकिन उनकी सलाह ने मुझे यह एहसास दिलाया कि जिंदगी में किसी के साथ का होना भी जरूरी होता है मैं अभी उस विचार को लेकर तैयार नहीं थी लेकिन मैंने खुद से वादा किया कि
जब सही समय आएगा मैं उस रास्ते पर भी विचार करूंगी कुछ महीने बाद स्कूल में एक नया प्रोजेक्ट शुरू हुआ जिसमें हमें गांवों में जाकर बच्चों की शिक्षा पर काम करना था यह प्रोजेक्ट मेरे लिए एक और बड़ा मौका था और मैंने पूरी टीम के साथ गांव-गांव जाकर काम करना शुरू किया वहां बच्चों और परिवारों से मिलकर मैंने जाना कि शिक्षा का असली महत्व क्या है और कैसे यह लोगों की जिंदगी बदल सकती है गांव के बच्चों के साथ समय बिताकर मुझे खुद को और भी बेहतर समझने का मौका मिला उनकी आंखों में आशा और उनके सपनों में संघर्ष की कहानियां मुझे
अपनी ही कहानी की याद दिलाती थी मैंने उन्हें सिखाया कठिनाइयां आती हैं लेकिन जो उन्हें पार कर लेता है वही असली विजेता होता है इस दौरान मैंने खुद को पूरी तरह समाज के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया मेरे जीवन का नया उद्देश्य अब सिर्फ खुद की भलाई नहीं था बल्कि उन लोगों की भी मदद करना था जो कठिनाइयों का सामना कर रहे थे और इस तरह मेरी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू हो चुका था जहां अब मैं दूसरों के सपनों को साकार करने की दिशा में काम कर रही थी मेरी यात्रा जारी थी लेकिन इस बार यह सिर्फ मेरी नहीं बल्कि उन तमाम लोगों
की थी जो मेरी तरह कभी खुद को कमजोर समझते थे अब मैं उन्हें दिखा रही थी कि कठिनाइयों के बावजूद जीवन में नई शुरुआत हमेशा संभव है
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