पति की मोहब्बत। Mastram Kahani | Sad And Emotional Hindi Story | Kahaniyan 2.0

Mastram Kahani : दोस्तों मेरी उम्र 25 साल हो चुकी है पर मेरी मां ने आज तक मुझे लोगों से दूर रखा हुआ है मैं कहीं भी आती जाती नहीं हूं हमारे गांव में मेरी हकीकत धीरे-धीरे सबको पता चल रही थी कि मुझे सच्चे सपने आते हैं और मैं जिस चीज के बारे में भी रात को सोचकर सोती हूं उसके बारे में जो भी होने वाला होता है मुझे सपने में ही नजर आ जाता है इसलिए मेरी मां ने रातों-रात गांव छोड़कर एक छोटे से शहर में किराए का घर ले लिया और हम वहां रहने लगे

लेकिन एक रात मुझे सपना आया तो मैं चीख कर उठी मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई कि कल सुबह होते ही मेरे घर में जो कुछ होने वाला था अगर यह सपना सच्चा हो गया तो फिर क्या होगा क्योंकि सपने के अनुसार मैं खुद ही दोस्तों मैं अपनी जिंदगी की एक ऐसी कहानी आप लोगों को सुनाने जा रही हूं जो बिल्कुल सच है यह ऐसी कहानी है जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे इस कहानी को सुनकर आपके दिल में पहला सवाल यही आएगा क्या ऐसा भी हो सकता है

तो सुने मेरी कहानी मेरा नाम जानवी है मेरी पैदाइश एक छोटे से गांव में हुई थी मेरे पापा उस समय मुझे छोड़कर इस दुनिया से चले गए थे जब मैं 6 साल की थी हम लोग बहुत करीब थे दो वक्त की रोटी भी बहुत मुश्किल से मिलती थी घर का खर्चा चलाने के लिए मेरी मां ने लोगों के कपड़े सिलना शुरू कर दिए और फिर उन्हीं सिलाई के पैसों से घर का खर्च चलता था जो कि बहुत मुश्किल से होता था मेरी नानी के घर वाले मेरी मां को कई बार लेने आए

लेकिन मेरी मां ने उनके घर जाने से मना कर दिया मुझे याद है मैं उस समय 10 साल की थी जब मेरे बड़े मामा मेरी मां को लेने आए थे उन्हें देखकर मैं बहुत खुश थी कितने लंबे अरसे के बाद वह हमसे मिलने आए थे मैं खुश इसलिए थी क्योंकि हमारे घर कोई भी आता जाता नहीं था मेरी मां का हाल भी मुझसे अलग नहीं था खुशी उनके चेहरे से झलक रही थी मगर कहीं ना कहीं अंदर से वह बहुत ज्यादा डरी हुई भी थी मैं खुशी खुशी मामा के पास बैठ गई थी

उनकी बात सुनकर मैं भी डर गई थी मैंने अपनी मां को खाना बनाते देखा तो उनके पास चली गई मैंने अपनी मां से कहा मम्मी आप मामा के साथ चली जाएगी और मुझे छोड़ देंगे क्या यह सही बात है मैंने कुछ देर पहले अपने मामा के मुंह से सुनी हुई बात मम्मी के सामने दोहरा दी तो सब में चम्मच चलाते हुए मेरी मां के हाथ रुक गए मेरी मां ने मुझे गले से लगा लिया और कहा नहीं गुड़िया मैं तुझे छोड़कर क्यों जाऊंगी तू तो मेरी जान है कोई जरूरत नहीं है

इसे साथ लेकर जाने कि तुम हमारे साथ जाओगी बस और इसको इसके दादी के घर वालों के पास छोड़ दो मामा की बात सुनकर मैं डर कर अपनी मां के पीछे छुप गई थी मामा की बात सुनकर मेरी मां रोने लगी बोली भगवान के लिए मेरी बच्ची को मुझसे अलग मत करो मैं इसके बिना नहीं जी पाऊंगी मम्मी ने मामा के सामने हाथ जोड़ दिए जिस पर मामा गुस्से से बोले फैसला तुम्हारे हाथों में है या तो हमारे साथ चलो और आराम से सुकून की जिंदगी जियो या फिर इस मनहूस के साथ रहो

उनके शब्दों में नफरत थी मेरी मां ने मुझे गोद में उठा लिया और मुझे कसकर अपने सीने से लगा लिया और बोली मेरी बच्ची ही मेरा सब कुछ है मैं मर कर भी इसे नहीं छोड़ सकती बाकी आप लोगों की म मम्मी की बात सुनकर मामा ने मुझे नफरत भरी नजरों से घोरा था और बोले तुम बहुत पछताओगे सुनीता अपनी मां की मोहब्बत देखकर मैं खुद को दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की समझने लगी थी लेकिन मुझे नहीं पता था कि मैं दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की नहीं

बल्कि सबसे बदनसीब लड़की होने वाली हूं जिसे मैं अपनी मां की मोहब्बत समझ रही थी वह तो कुछ और ही था मेरे मामा ने एक बार फिर से मेरी मां को मनाने की कोशिश की बोले सुनीता अब भी वक्त है अपना फैसला बदल लो नहीं तो एक दिन ऐसा आएगा कि तुम पछताओ गी बहुत पछताओ गी और फिर तुम्हें कहीं भी सहारा नहीं मिलेगा हमारे दर पर भी तुम्हें सहारा नहीं मिलेगा जब मम्मी ने कोई जवाब नहीं दिया तो मामा गुस्से से चले गए

मेरी मामा के जाने के बाद काफी देर तक मेरी मां ने मुझे सीने से लगाए रखा और रोती रही जिंदगी यूं ही गुजरती जा रही थी मैं 15 साल की होने वाली थी आखिर क्या कारण है कि मेरी मां मुझे लोगों से छुपाती है लोगों से मिलने नहीं देती मगर चाहकर भी मैं यह समझ नहीं पाती और मां से पूछने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाती दिन बदन मैं चिड़चिड़ी होती जा रही थी अपनी मां से बात करना भी मुझे अच्छा नहीं लगता था जब भी मां से बात करती तो वह मुझे नसीहत ही करती रहती

एक दिन में कमरे में बैठी अपने ही बारे में सोच रही थी जब मेरे दिमाग में आया कि आज अपनी मां से पूछ ही लूं कि वह मुझे घर की चार दीवारी में कैद करके क्यों रखती है यही सब सोचकर मैं अपनी मां के पास गई वह सब्जी काट रही थी मुझे अपने पास खड़ा देखकर मुस्कुराई बोली क्या बात है ऐसे क्यों देख रही हो मैं बोली मम्मी मुझे आपसे कुछ पूछना है मैंने अपनी मां से बहुत हिम्मत करके कहा तो मेरी मां ने कहा हां कहो क्या बात करनी है

मम्मी ने मुझे बैठने का इशारा किया तो मैं उनके पास ही बैठ गई अब बोल भी ले मुंह में दही जमा रखा है क्या मुझे खामोश देखकर मेरी मां ने छोरी और टोकरी एक तरफ रखते हुए कहा मैंने कहा मम्मी आप मुझे बाहर जाने की अनुमति क्यों नहीं देती मुझे लोगों से मिलने जुलने क्यों नहीं देती मेरी मां ने मेरे सवाल पर मुझे सोचती हुई नजरों से देखा और कहा तुझे कहा तो है कि इतनी बार कि यह दुनिया तेरे लिए सुरक्षित नहीं है

इसलिए और बस कोई बात नहीं मेरी मां ने उठते हुए सामान उठाया और चूल्हे के पास बैठ गई ऐसा मत कहां करें मम्मी मैं जानती हूं बाहर का माहौल कितना असुरक्षित है लेकिन मुझे भी बाहर जाना है सब लड़कियां पढ़ने जाती हैं यह दुनिया उनके लिए तो खराब नहीं है फिर मेरे लिए खराब कैसे हो गई मुझे भी सारी लड़कियों की तरह पढ़ने जाना है और नए-नए दोस्त बनाना है मैंने बहुत प्यार में कहा मेरी मम्मी कहने लगी तुम और लड़कियों की तरह नहीं है

तुम उनसे अलग है और मैं नहीं चाहती लोगों को तेरी असलियत पता चले लोग तेरी असलियत जानकर तुझसे गलत काम करवाएंगे मेरी मां ने मोहब्बत से कहा मुझे बहुत हैरत हुई कि भला मैं दूसरों से अलग क्यों हूं मैं तो बिल्कुल नॉर्मल लोगों की तरह थी जैसे और लोग होते हैं वैसे ही मैं थी मैं मम्मी के पास बैठ गई मेरी आंखों में आंसू थे मम्मी मैं सबसे अलग कैसे हूं मुझे तो महसूस नहीं होता प्लीज मुझे इस चार दीवारी से बाहर निकाले यहां मेरा दम घुटता है

मेरी बात सुनकर मम्मी बोली ऐसा नहीं हो सकता आखिर ऐसा क्यों नहीं हो सकता मैं भी जिद पर आ गई थी मम्मी बोली तू अभी ना समझ है तुझे कुछ नहीं पता मम्मी ने मुझे प्यार से समझाने की कोशिश की तो मुझे गुस्सा आ गया मैंने गुस्से से कहा मुझे कुछ नहीं समझना है बस मुझे बाहर जाने की अनुमति दे बल्कि मैं तो कहती हूं कि किसी स्कूल में मेरा एडमिशन करवा दो मैं भी पढ़ना चाहती हूं देखना चाहती हूं कि कैसे पढ़ाई लिखाई होती है

मेरी जिद देखकर मम्मी को गुस्सा आ गया मुझे डांटते हुए बोली बेकार में मेरा दिमाग मत खराब कर जानवी जाकर कमरे में बैठ और कमरे में धुले हुए कपड़े पड़े हैं उन्हें जाकर तह लगा बेकार में मेरा दिमाग खराब कर रही है चल जा यहां से और काम कर यह तेरी कोई उम्र है पढ़ाई लिखाई करने की मैं रोती हुई अपने कमरे में आ गई खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया और बेड पर बैठकर रोने लगी पता नहीं मेरे अंदर कौन सी खूबी थी

जिसकी वजह से मेरी मां मुझे दुनिया की नजरों से बचाना चाहती थी मुझे तो अपने अंदर कोई भी बदलाव महसूस नहीं होते थे आम इंसानों की तरह ही मेरा शरीर था उनकी तरह ही मेरा दिमाग काम करता था फिर पता नहीं मेरी मां ऐसा क्यों करती थी यूं ही रोते-रोते मैं सो गई मम्मी मुझे रात का खाना खाने के लिए बुलाने भी नहीं आई थी अचानक रात के 3:00 बजे मेरी आंख खुली तो मैं पसीने से तरबतर थी मेरा पूरा शरीर कांप रहा था शायद कोई बुरा सपना देखा था

याद भी नहीं आ रहा था कि सपने में क्या देखा था लेकिन शायद कोई डरावना सपना ही था आंख खुल गई थी और अब नींद भी नहीं आ रही थी धीरे-धीरे खुद को रिलैक्स किया और यूं ही बिस्तर पर लेटी रही फिर भगवान को याद किया कि हे भगवान मुझे नरक से बाहर निकालो यहां मेरा दम घुटता है मैं भी बाहर की दुनिया देख देखना चाहती हूं फिर पता नहीं कब मेरी आंख लग गई दोबारा आंख खुली तो सुबह के 10 बज रहे थे

लेकिन मैं यह देखकर हैरान थी कि मैंने सपने में देखा था वही सब कुछ मेरी आंखों के सामने हो रहा था रात मैंने सपने में देखा था कि मेरे मामा मेरी मां से लड़ झगड़ रहे हैं और वही सब कुछ मेरी आंखों के सामने हो रहा था मेरे मामा आए हुए थे और वह मेरी मां से लड़ाई कर रहे थे लड़ाई का टॉपिक भी वही था जो रात मैंने सपने में देखा था मामा बार-बार मेरी मां से अपने साथ चलने को कह रहे थे और मेरी मां एक ही जिद पर अड़ी हुई थी कि मैं जानवी को अकेला छोड़कर नहीं जाऊंगी

मुझे बहुत हैरत हुई जिस मां को अपनी बेटी की खुशियों की कोई परवाह नहीं थी उसको घर में कैद करके रखा गया था अपनी बेटी की कोई भी बात नहीं मानती थी उसी बेटी के लिए वह अपने भाई से लड़ झगड़ रही थी उनके साथ चलने के लिए तैयार नहीं थी अपने घर पर रहकर रूकी सूखी खाने को तैयार थी जब मम्मी किसी तरह नहीं मानी तो मामा मेरे पास आए और गुस्से से मुझे देखते हुए बोले जानवी यह सब तुम्हारी वजह से हो रहा है

और फिर चले गए मम्मी भी अपनी आंखों को पोच हुए दोबारा अपने कामों में लग चुकी थी फिर धीरे-धीरे मैंने महसूस किया कि मैं जो भी सपना देखती हूं वह सच हो जाता है मेरी मां को इस बारे में सब कुछ पता था और शायद वह इसीलिए मुझे छुपा कर रखी थी कि मेरी यह खूबी किसी को पता ना चले लेकिन सच तो सामने आ ही जाता है उसे कितना ही छुपाओ मैं अब 26 साल की होने वाली थी और मेरी मां को मेरी शादी की कोई फिक्र नहीं थी नहीं

वह घर में इस बात का कोई जिक्र करती धीरे-धीरे मैंने अपने हालात से समझौता कर लिया था खुद में मगन रहती ज्यादातर चुपचाप ही रहती कोई बात नहीं करती थी कभी-कभी मेरी हालत को देख हुए मम्मी मुझसे कहते कि इस तरह गुमसुम मत रहा करो हंसा बोला करो काम में खुद को बिजी रखा करो लेकिन मैं किससे हंसती बोलती किस काम में खुद को व्यस्त रखती कपड़े सिलने के अलावा मुझे कोई काम नहीं आता था

पढ़ाई लिखाई भी नहीं आती थी कि किताबें पढ़ने बैठ जाया करती और थोड़ा टाइम पास कर लेती और फिर एक दिन वह आ ही गया जब दुनिया वालों को मेरे सच का पता चला था एक दिन मम्मी सिले हुए कपड़े देने के लिए गई हुई थी मैं घर पर अकेली थी कि तभी हमारे घर के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी मैंने कुछ सोचते हुए दरवाजा खोल दिया सामने एक औरत खड़ी थी वह मुझे देखते हुए बोली तुम सुनीता की बेटी हो ना मैंने हां में सर हिला दिया

मुझे हैरत से देखने लगी और आकर अंदर चारपाई पर बैठ गई उसके इस तरह देखने से मैं डर गई मैंने फिर कहा हां मैं जानवी हूं सुनीता जी की बेटी यह डर भी लग रहा था कि अगर मम्मी आ गई और अगर उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम इस औरत के सामने क्यों आई और दरवाजा क्यों खोला तो मैं मम्मी जी को क्या जवाब दूंगी अरे जानवी बेटा कहां खो गई एक गिलास पानी तो पिला दे आंटी की बात सुनकर मैं शर्मिंदा हो गई

और जी अच्छा कहकर किचन में चली आई पानी का गिलास लेकर आई और उनकी तरफ पानी का गिलास बढ़ाया पानी का गिलास लेते हुए आंटी बोली एक बात एक बता बेटा तेरी मां तुझे सबसे छुपाकर क्यों रखती है मैं क्या जवाब देती चुपचाप खड़ी थी वह औरत खुद ही बोलने लगी है हर वक्त घर के अंदर रहती हो कभी-कभी आ जाया करो हमारे घर बच्चों के साथ मन लगा रहेगा आंटी से बातें कर रही थी कि मम्मी जी आ गई

मुझे उस औरत के पास खड़ी देखकर मम्मी की आंखों में गुस्सा उभर आया मुझे आंखों से अंदर जाने का इशारा किया और वही आंटी के पास बैठ गई आंटी पूछने लगी अरे सुनीता यह बेटी जानवी है ना कभी देखा ही नहीं हालांकि हम सब साथ रहते हैं मम्मी का जवाब सुनने के लिए मैं छत पर खड़ी हो गई सुनना चाहती थी कि मम्मी उस औरत को क्या जवाब देंगे और फिर मेरी मम्मी ने जो जवाब दिया उसे सुनकर मैं कांप गई

भला कोई मां अपनी बेटी के बारे में ऐसा कैसे बोल सकती है मम्मी ने उस औरत से कहा था कि मुझे अपनी बेटी पर शक है कि कहीं वह कोई गलत कदम ना उठा ले इसलिए मैं उसको घर के अंदर बंद रखती हूं गुस्से से मेरा पूरा शरीर कांप रहा था मैंने सोचा मम्मी से इस बारे में जरूर बात करूंगी मैं उस औरत के जाने का इंतजार करने लगी और कमरे में टहलने लगी थोड़ी देर बाद मम्मी कमरे में आई तो उनका गुस्सा देखकर मैं कहां खो गई

मेरा गुस्सा तो कहीं गायब हो गया था मम्मी के गुस्से को देखकर उनका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था आंखों से चिंगारियां निकल रही थी मैंने उन्हें इस रूप में पहले कभी नहीं देखा था वह चिल्लाती हुई बोली जानवी तेरी हिम्मत कैसे हुई दरवाजा खोलकर उस औरत से बात करने की मेरे हलक से तो जवाब ही नहीं निकल रहा था मैं अटक हुए बोली मम्मी वह गलती हो गई प्लीज माफ कर दो आइंदा से ऐसा नहीं होगा मैं डर से थरथर कांप रही थी

मुझे कांपता देखकर मम्मी का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ और मुझे समझाते हुए बोली देख जानवी मैं तेरी भले के लिए ही कहती हूं अगर लोगों को पता लग गया कि तू जो सने देखती है वह सच हो जाते हैं तो लोग तेरा जीना हराम कर देंगे तेरी जिंदगी बहुत मुश्किल हो जाएगी बस इसीलिए तुझे लोगों से बचा कर रखी हूं

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लेकिन मैं और मम्मी दोनों ही इस बात से बेखबर थी कि कोई बाहर खड़ा हमारी बातें सुन रहा है कदमों की आहट पर बाहर आकर देखा तो आंगन में कोई नहीं था मैं कपड़े सिलाई करने बैठ गई और मम्मी खाना बनाने लगी अगले नहीं कहा था पता प नहीं लोगों को कैसे पता चल गया अगले दिन वही औरतें फिर आ गई इस बार अपने साथ अच्छे खासे पैसे लेकर आई थी उन्होंने ढेर सारे पैसे मम्मी जी के सामने डाल दिए और कहने लगे यह सब तुम रख लो बस हमारी परेशानी दूर करवा दो

अपनी बेटी से कहकर मम्मी कुछ देर सोचती रही फिर बोली ठीक है मैं जानवी से बात करती हूं वह सब औरतें खुश गई और मुझे दुआएं देती हुई चली गई सुनीता तेरी बेटी हमेशा सुखी रहे उन और के जाने के बाद मम्मी बोली देखा जानवी इसलिए मैं तुझे सबसे छुपा कर रखी थी अब यह लोग तुझे पागल कर देंगे मैंने मम्मी से माफी मांगी कहा मम्मी मुझे माफ कर दो यह सब मेरी वजह से हुआ है मम्मी ने मुझे गले लगा लिया और कहां परेशान मत हो

मेरी बच्ची इसमें तेरा कोई कसूर नहीं चल ऐसा कर जल्दी से जरूरी सामान बाद हम यहां से चले जाएंगे अब हम यहां नहीं रहेंगे मैं बोली लेकिन मम्मी हम जाएंगे कहां भी लेकिन यहां नहीं रहना मम्मी ने और मैंने जल्दी-जल्दी कुछ जरूरी सामान बांधा और रात के अंधेरे में ही घर से निकल गए मम्मी ने मुझे रास्ते में बताया कि हम शहर जाएंगे शहर का नाम सुनकर मैं खुश हो गई कि शायद मुझे अब कुछ आजादी मिलेगी

शायद शहर पहुंचकर मम्मी मेरी शादी भी करवा दे मम्मी मुझे लेकर अपनी एक सहेली के घर गई मम्मी की सहेली हमें इस तरह देखकर बहुत हैरान हुई लेकिन मम्मी ने पता नहीं उन्हें कौन सी कहानी सुनाई कि मम्मी की सहेली इतनी हमदर्द बन गई कि हमें अपने साथ रखने के लिए तैयार हो गई मम्मी की सहेली का पति दूसरे शहर में काम करता था उनकी एक बेटी एक बेटा था जो कॉलेज में पढ़ते थे धीरे-धीरे दिन गुजर रहे थे

जब आंटी के बच्चों को पढ़ता देखती तो मेरा दिल भी करता पढ़ाई करने का लेकिन मुझे पता था अब यह मुमकिन नहीं इसलिए अपना दिल मसोस कर रह जाती एक बार में कमरे में बैठी थी कि तभी मुझे मम्मी की आवाज आई वह मुझे बाहर बुला रही थी मैं बाहर गई तो बाहर दो औरतें बैठी थी आंटी और मम्मी भी बैठी थी चारों औरतें आपस में बैठी कुछ बातें कर रही थी फिर आगे जो मम्मी ने मुझसे कहा उसे सुनकर मैं उछल पड़ी मैं हैरत से मम्मी को देखने लगी

क्या यह मेरी वही मां है जो लोगों से बचाने के लिए मुझे शहर लेकर आई थी लेकिन शहर लाकर तो मेरी मां ने मुझे लोगों से बचाने की बजाय लोगों के सामने पेश करना शुरू कर दिया और मुझे पैसा कमाने की मशीन बना दिया अब तो दिन भर अजीब अजीब से लोगों की लाइन लगी रहती अपनी अपनी समस्या मुझे बताते और मेरी मां मुझे समझाती कि रात को तुम्हें इस बात के बारे में सोचना है और आगे का सपना देखना है अब जाहिर सी बात है कि एक रात में एक ही सपना देख सकती थी

इसलिए सबका नंबर आना मुश्किल था अपनी बारी के इंतजार में लोगों को हफ्तो इंतजार करना पड़ता था मैं तो अब तंग आ गई थी क्योंकि लोग ऐसी-ऐसी अजीब बातें बताते हैं कि मुझे शर्म आने लगती थी लेकिन मेरी मां पर तो जैसे पैसे कमाने का भूत सवार हो गया था मैं सोच भी नहीं सकती थी कि मेरी मां इतनी लालची औरत है पैसों के लालच में आकर मेरी मां ने मेरी जिंदगी खराब कर दी पहले तो कहा वह मुझे लोगों के सामने भी नहीं आने देना चाहती थी

और अब पैसे कमाने के लिए उन्होंने मुझे इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था एक दिन मैंने मम्मी के सामने हाथ जोड़ दिए मम्मी मुझसे यह सब मत करवाएं मुझसे यह सब और नहीं होता मेरी बात सुनकर मम्मी बोली क्यों अब तुझे क्या परेशानी है तुम ही तो चाहती थी कि तुम लोगों से मिले जुले उनसे बातें करें अब मैं उन्हें क्या समझाती कि मुझे इस तरह की आजादी नहीं चाहिए थी मुझे तो आपने और भी ज्यादा कैद कर दिया था कभी-कभी सोचती इस घर से भाग जाऊं

एक बार में दरवाजे पर खड़ी थी कि तभी हमारे दरवाजे के सामने से एक लड़का होकर निकला वह बार-बार मेरी तरफ ही देख रहा था मैं घबराकर मैं अंदर आ गई और मेरे हैरत की हद ना रही जब उस लड़के ने अगले दिन अपना रिश्ता लेकर भेज दिया मैं किचन में कुछ काम कर रही थी मुझे मम्मी की आवाज साफ आ रही थी

मम्मी कहने लगी देखिए हमें अपनी जानवी की शादी नहीं करनी आप जा सकते हैं मम्मी की बात सुनकर मुझे बहुत हैरत हुई भला मम्मी मेरी शादी क्यों नहीं करना चाहती थी वह लोग बोले आप ऐसा क्यों कर रही हैं बेटी की शादी करना तो हर मां बाप का फर्ज होता है और मेरा बेटा तो लाखों में एक है वह आपकी बेटी को पसंद करता है उससे शादी करना चाहता है लेकिन मम्मी ने उनकी एक नहीं सुनी और उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया

पूरा दिन मेरा मन किसी भी काम में नहीं लगा शाम को थोड़ी देर के लिए ऊपर छत पर गई ऊपर आसमान की तरफ देख रही थी और अपनी किस्मत पर रो रही थी कि तभी मुझे लगा जैसे मुझे कोई पुकार रहा है मैंने इधर उधर गर्दन घुमाकर देखा तो वही सुबह वाला लड़का मुझे देख रहा था मेरे देखने पर वह बोला जानवी मुझे तुमसे कुछ बात करनी है

मैं बोली तुम्हें मुझसे क्या बात करनी है मैं तो तुम्हें जानती भी नहीं उस लड़के ने कहा लेकिन मैं तुम्हें अच्छी तरीके से जानता हूं जब से तुम यहां रहने आई हो उसी दिन मैंने तुम्हें देखा था और तभी से तुम मुझे पसंद आ गई हो यह घर हमने नया-नया लिया था जब से मम्मी ने मुझे इस्तेमाल करना शुरू किया था पैसों की तो जैसे बारिश होने लगी थी

मम्मी को मुंह मांगी कीमत मिला करती थी धीरे-धीरे हमारे पास इतना पैसा हो गया था कि मम्मी ने एक बड़ा सा घर ले लिया था इस घर में रहते हुए हमें कुछ ही समय हुआ था वह लड़का फिर बोला मेरा नाम राहुल है तुम्हारा नाम भी मुझे पता है कि तुम्हारा नाम जानवी है लेकिन शायद तुम्हें मेरी मोहब्बत का नहीं पता मैं तुमसे बहुत मोहब्बत करता हूं तभी मैंने अपने मां-बाप तुम्हारे घर भी भेजा था लेकिन तुम्हारी मां ने मना कर दिया कि मैं इसकी वजह जान सकता हूं

अब मैं राहुल को क्या वजह बताती वह तो मुझे खुद भी नहीं पता थी लेकिन राहुल को टालते हुए बोली शायद मेरी मां मुझे खुद से अलग नहीं करना चाहती इसलिए मेरी बात सुनकर राहुल जोर से हंसा था कहने लगा तुम बहुत मासूम हो जानवी मेरा घर तो तुम्हारे घर के बिल्कुल पास है तुम जब चाहो शादी के बाद अपनी मां से मिल सकती हो यह तो कोई वजह समझ में नहीं आई फिर राहुल अपनी बात जारी रखते हुए बोला जानवी मैं तुम्हें जिंदगी की सारी खुशियां दूंगा

प्लीज अपनी मां को शादी के लिए मना लो मैंने राहुल की बातों का कोई जवाब नहीं दिया और नीचे उतरने लगी नीचे उतरते हुए मैंने सुना राहुल कह रहा था मैं जवाब का इंतजार करूंगा मैं धड़कते दिल के साथ नीचे उतर आई पता नहीं मेरा दिल इतनी जोरों से क्यों धड़क रहा था अब तो मेरा दिल रोज राहुल से बातें करने के लिए चाहने लगा मैं रोज शाम को ऊपर छ पर जाती और राहुल से ढेरों बातें करती उसका हल्के से मुस्कुराना बीच-बीच में मेरी तारीफें करना मुझे बहुत अच्छा लगता था

मैं जब भी राहुल से मिलती तो उसका एक ही सवाल होता तुम अपनी मम्मी को शादी के लिए कब राजी करोगी एक दिन मैं और राहुल ऐसे ही आपस में बातें कर रहे थे कि तभी मेरी मां ऊपर आ गई मुझे राहुल से बातें करते देखकर वह गुस्से से कांपने लगी मेरे बाजू को कस के पकड़ते हुए मुझे खींचते हुए नीचे ले आई और चीखते हुए बोली जानवी तूने मेरी इज्जत हाक में मिला दी मम्मी ने मुझे कमरे में बंद कर दिया

और कहा अगर तू कमरे से बाहर निकली और उस लड़के से कोई भी बात की तो तेरा और मेरा रिश्ता हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा कमरे में बंद हुए मुझे दो दिन हो चुके थे मम्मी खाना देती और चली जाती और कमरे को बाहर से लॉक कर देती मैं अंदर ही अंदर घुट रही थी एक रात मैंने ऐसा सपना देखा जिसे देखकर मैं दहल गई मैं पूरी पसीने से भीग चुकी थी और बार-बार खुद से कह रही थी नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैं डर के मारे थरथर कांप रही थी

क्योंकि मुझे पता था कि मेरे सारे सपने सच हो जाते हैं फिर यह जो सपना मैंने देखा था क्या यह भी सच हो जाएगा नहीं ऐसा नहीं हो सकता अगले दिन मम्मी मेरे पास आई और कहने लगी कि तुम्हारी शादी है तुम्हें शादी का बहुत शौक है ना मैंने तुम्हारी शादी पक्की कर दी है लेकिन मम्मी के मुंह से यह बात सुनकर मेरे सर पर तो आसमान ही गिर पड़ा यह तो मुझे पता था कि मम्मी राहुल के साथ मेरी शादी हरगिज नहीं करेंगे फिर भी शायद उम्मीद की एक डोर थी

मैंने हक लाते हुए पूछा किसके साथ मम्मी बोली किसी के भी साथ लेकिन उस लफंगे राहुल के साथ नहीं मम्मी की बात सुनकर मैं रोने लगी लेकिन मम्मी को मेरे ऊपर दया नहीं आई अगले दिन कुछ लोग भी आ गए थे शायद मेरी होने वाली ससुराल से थे जब राहुल को पता लगा तो वह भी भी दौड़ता हुआ आया था वह लोगों की परवाह ना करते हुए एकदम मेरे पास आया कहने लगा जानवी तुम ऐसा नहीं कर सकती तुम तो मुझसे प्यार करती हो ना

और मैं भी तुमसे कितना प्यार करता हूं तुम सिर्फ मेरी हो सिर्फ मेरी मम्मी ने राहुल को जोर से धक्का दिया था बोली दूर हो जाओ मेरी बेटी से लेकिन राहुल तो जैसे पागल हो रहा था उसने मेरा हाथ खींचते हुए कहा चलो हम यहां से चलते हैं तुम अभी के अभी मेरे साथ चलो मम्मी ने आगे बढ़कर मेरा हाथ राहुल के हाथों से छुड़ाया और एक बार फिर से जोरदार धक्का राहुल को दिया राहुल होश में नहीं था वह लड़खड़ा या और सामने पड़ी मेज से टकरा गया

उसका सर टेबल के कोने से लग गया और उसके सर से खून बहने लगा मैं बहुत ज्यादा डर गई और उसे उठाने की कोशिश करने लगी मैं जोर-जोर से रो रही थी और कह रही थी कि प्लीज कोई हेल्प करो कोई इसे हॉस्पिटल पहुंचाओ यह मर जाएगा और फिर तभी मुझ पर पागलपन सवार हो गया टेबल पर रखी फ्रूट बास्केट से मैंने चाकू उठा लिया और जाकर अपनी मम्मी के सामने खड़ी हो गई

मैं गुस्से से अपनी मम्मी से बोली अभी के अभी राहुल को हॉस्पिटल लेकर चले नहीं तो मेरा यह रूप देखकर मम्मी के मुख से तो आवाज ही नहीं निकल रही थी वह बस आंखें फाड़े मुझे देख रही थी जब मैंने दोबारा चीक कर कहा कि राहुल को हॉस्पिटल लेकर चलो तब उन्हें होश आया और जल्दी-जल्दी राहुल को हॉस्पिटल ले जाया गया राहुल बेहोश हो चुका था उसके सर से काफी खून बह चुका था मैं रास्ते भर रोती रही राहुल राहुल पुकारती रही राहुल का सर मेरी गोद में रखा हुआ था

राहुल आंखें खोलो तुम्हें कुछ नहीं हो सकता मैं तुम्हारे बगैर मर जाऊंगी राहुल यह दुनिया बहुत बेदर्द है एक तुम्हारे प्यार ने ही तो मुझे सहारा दिया था और अब तुम भी आंखें नहीं खोल रहे हो कुछ तो बोलो राहुल हॉस्पिटल में डॉक्टर राहुल का चेकअप कर रहे थे हम सब लोग बाहर बैठे हुए थे राहुल के मां-बाप भी आ गए थे मैं चेयर पर बैठी हुई आंसू बहा रही थी जब मम्मी उठकर मेरे पास आई थी मम्मी को देखकर मेरी आंखों में नफरत की चिंगारियां उठने लगी

मैंने कहा मम्मी अगर मेरे राहुल को कुछ हो गया तो मैं आपको जिंदगी भर माफ नहीं करूंगी आपने मुझे पूरी जिंदगी खुशियों के लिए तरसा कर रखा और जब भगवान ने मेरी झोली में खुशियां डालनी चाही तो आपने उन खुशियों को भी छीन लिया आप दुनिया की सबसे बुरी मां है एक बात कान खोलकर सुन लीजिए अगर राहुल को कुछ हो गया तो मैं भी नहीं जिऊंगी और हम दोनों का खून आपके सर जाएगा मम्मी ने मेरे दोनों हाथों को पकड़ लिया

और बोली मुझे माफ कर दे जानवी हां मैं हूं बुरी मां बहुत बुरी मां हूं मैं तेरी खुशियों की कातिल हूं मुझे तेरी खूबी के बारे में बचपन से पता था और बचपन से ही मेरे अंदर लालच भर गया था जब तू छोटी थी तभी मैंने सोच लिया था था कि जब तू बड़ी हो जाएगी तो तेरे जरिए पैसे कमाऊ गी मैं गांव में लोगों से तुझे इसलिए बचा कर रखती थी क्योंकि मुझे पता था गांव के लोगों से इतनी कमाई नहीं हो सकती और जब मुझे लगा कि अब समय आ गया है

पैसे कमाने का तो फिर मैं तुझे लेकर शहर आ गई लेकिन जब मुझे पता लगा कि मेरी सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को कोई और ले जाना चाहता है तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ फिर मैंने एक ऐसे लड़के से तेरी शादी तय है कि जो हमेशा मेरा गुलाम बनकर रहता लेकिन आज मैं हार गई तेरी और राहुल की मोहब्बत देखकर मुझे माफ कर दे जानवी आज मुझे महसूस हो रहा है कि मैं कितनी गुनहगार औरत हूं अगर तुम मुझे माफ नहीं करेगी तो भगवान भी मुझे माफ नहीं करेगा मुझे तेरी और राहुल की मोहब्बत से अब कोई ऐतराज नहीं है भगवान ने चाहा तो राहुल अच्छा हो जाएगा

और मैं खुद अपने हाथों से तेरी शादी राहुल के साथ करूंगी बस तुम मुझे माफ कर दे मम्मी की आंखों में आंसू थे पश्चाताप के आंसू और इन आंसुओं को देखकर मैं पिघल गई आखिर जैसी भी थी वह मेरी मां थी मैंने अपनी मां को माफ कर दिया राहुल ठीक हो गया था हम उसे घर लेकर आए और फिर कुछ दिनों में ही मेरी और राहुल की शादी हो गई और आज मैं राहुल की दुल्हन बनी सुहाग की सेज पर बैठी उसका इंतजार कर रही थी

राहुल अंदर आया उसने मेरा घूंघट उठाया अपने प्यार की निशानी के रूप में एक अंगूठी मेरी उंगली में पहना दी मेरा दिल खुशी से धड़क रहा था आज सही मायनों में मेरा सपना सच हुआ था मेरी जिंदगी में अब खुशियां ही खुशियां थी साहिल ने मुझे इतनी मोहब्बत दी कि मैं अपने पुराने सारे दर्द भूल गई आज भगवान का जितना धन्यवाद करूं कम है

 

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